उज्जैन : 544 मोहल्लों में रामजन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारी

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उज्जैन : 544 मोहल्लों में रामजन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारी
उज्जैन : 544 मोहल्लों में रामजन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारी

उज्जैन : पूरे देश मे रामजन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत देश में पहली बार 22 जनवरी को दीपावली मनेगी। रंगोली से घर के दरवाजे सजेंगे और दिन में एक साथ मंदिरों में बैठकर करोड़ों लोग रामजन्मभूमि का प्राण प्रतिष्ठा समारोह देखेंगे।

इसके लिए देश भर में प्रत्येक घर और मोहल्ले के लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया गया है। उज्जैन में भी इसी योजना के तहत कार्यक्रम किए जाएंगे। यह जानकारी आरएसएस के उज्जैन महानगर के संघ चालक योगेश भार्गव और सह प्रचार प्रमुख प्रतीक से बेडकर ने दी। उन्होंने बताया कि संघ की दृष्टि से बांटे गए उज्जैन महानगर के 7 नगर और 65 बस्ती के साथ ही 544 मोहल्लों में आयोजन की तैयारी की जा रही है।

याद रहे कि यहां जिला स्तर पर समन्वय बैठकों का आयोजन हुआ था। इस दौरान धार्मिक एवं सांस्कृतिक संगठनों से चर्चा की गई और समाज प्रमुख, सामाजिक धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजक, गणेश उत्सव, दुर्गा उत्सव समितियों के प्रमुखों से चर्चा करके कार्यक्रम की रुपरेखा से अवगत कराया गया है। इस समय मंडल, बस्ती जागरण की बैठकों का आयोजन किया जा रहा है।

उज्जैन : घर -घर संपर्क किया जा रहा है।

उज्जैन :रामजन्मभूमि न्यास के आग्रह पर घर -घर संपर्क किया जा रहा है। ताकि आयोजन को वृहत रूप से किया जा सके। इस दौरान प्रत्येक हिंदू परिवार को पीले चावल, भगवान राम का चित्र और पत्रक देकर कार्यक्रम में सहभागिता के लिए आमंत्रित किया जाएगा। क्योंकि सालों से भगवान राम के मंदिर के लिए आंदोलन किया जा रहा था।

अब इस पीढ़ी के लोगों को अवसर मिला है कि वे भगवान राम की जन्मभूमि की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देख सकें। चूंकि हर देशवासी चाहता है कि उसे अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिले। परन्तु सभी के वहां एक साथ जाने से व्यवस्था नहीं बन पाएगी।

उज्जैन : शाम में दीपक जलाने, पटाखे फोड़कर खुशी मनाने का आग्रह

इसलिए अपने घर और मोहल्ले में रहकर उत्सव का सहभागी बनने और टीवी पर मंदिरों में एक साथ समाज के लोगों के साथ बैठकर कार्यक्रम को देखने का आग्रह किया गया है। शाम में दीपक जलाने, पटाखे फोड़कर खुशी मनाने का आग्रह किया जा रहा है।

संघ चालक ने बताया कि राम जन्मभूमि का जीर्णोद्धार राजा विक्रमादित्य ने कराया था। उस समय घरों में दीये जलाए गए थे। हर तरफ आतिशबाजी हुई थी। इसलिए उज्जैन में भी इसी तरह के आयोजन की रूपरेखा बनाई गई है। उन्होंने बताया कि उपमा दी जाती है कि उस समय मंदिर में एक सोने का शिखर था और सात आसपास छोटे शिखर थे।

बताया जाता है कि मंदिर से चालीस किलोमीटर मीटर दूर माणिकपुर से सूर्य की रोशनी में सोने का शिखर चमकते हुए स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था। उन्हीं के समय में ही भारत को सोने की चिडिय़ा का खिताब मिला था। उन्होंने बताया कि राम मंदिर के शिखर की ऊंचाई 161 फीट की है। 380 लंबा और 250 फुट चौड़ाई।

22 जनवरी को दिन में रामजन्मभूमि उत्सव, रात में दीपावली मनेगी

संघ चालक भार्गव ने बताया कि 22 जनवरी को मेरा गांव मेरा शहर रामजन्मभूमि उत्सव को मनाएगा। घर घर, मंदिर और सड़क पर पानी का छिड़काव करके साफ किया जाएगा। बंदनवार लगाए जाएंगे। स्वागतद्वार से सजाया जाएगा। मोहल्लों, गांव शहर में हवन पूजन, भजन, सुंदरकांड, कीर्तन और भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

दोपहर में सभी लोग मंदिर में जाकर टीवी पर एक साथ रामजन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव समारोह को एक साथ देखेंगे। रात में हर घर में राम और हर घर दीपावली का आयोजन किया जाएगा। पटाखे जलाकर एक दूसरे को शुभकामनाएं दी जाएगी। ताकि सबके राम और सबमें राम का नारा सार्थक हो सके।

AYODHYA : जीवन भर की तपस्या अब जाकर सफल हुई : अन्नूभाई सोमपुरा

राम मंदिर की पहली शिला तराशने वाले मुख्य कारीगर अन्नूभाई सोमपुरा भी रामलला के खास मेहमान होंगे। राम मंदिर ट्रस्ट ने उनके विशिष्ट योगदान को देखते हुए आमंत्रित किया है। अब वह भी देश के चुनिंदा विशिष्टजनों की श्रेणी में शामिल हो गए। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साक्षी बनेंगे।

राम मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा के कहने पर वह वर्ष 1990 में 45 वर्ष की आयु में अहमदाबाद से अयोध्या आए। इनके साथ पुत्र प्रकाश सोमपुरा और भाई प्रदीप सोमपुरा भी आए। तब से अन्नूभाई अयोध्या के ही होकर रह गए। यहां आने के बाद अपने भाई और बेटे के साथ इन्होंने प्रस्तावित राम मंदिर के लिए शिलाओं को तराशने का काम शुरू कर दिया।

इस तरह राम मंदिर की पहली शिला इन्हीं के हाथों से तराशी गई। यहां आने के बाद इन्हें राम मंदिर आंदोलन के नायक और विहिप सुप्रीमो रहे अशोक सिंहल के कहने पर रहने का ठौर मिला। मौजूदा समय में राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने मणिराम दास छावनी आश्रम में रहने के लिए एक कमरा दिया।

मौजूदा समय में जहां पर रामजन्मभूमि न्यास मंदिर निर्माण कार्यशाला है, तब वहां चारों तरफ जंगल हुआ करता था। इन्होंने सिर्फ दो शिलाओं से मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की तराशी का काम बिना किसी मशीन के हाथों से ही छेनी के सहारे शुरू किया। फिर धीरे-धीरे कार्यशाला में कारीगरों की संख्या बढ़ती गई।

AYODHYA : गुजरात, राजस्थान, मिर्जापुर और अयोध्या के करीब 150 कारीगर काम कर रहे हैं।

यहां पर गुजरात, राजस्थान, मिर्जापुर और अयोध्या के करीब 150 कारीगर काम कर रहे हैं। वर्ष 1996 में पहली बार शिलाओं को काटने के लिए मशीन आई। फिर इसकी मदद से पत्थरों को तराशने का काम आगे बढ़ता गया। नौ नवंबर वर्ष 2019 को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने तक अन्नूभाई के नेतृत्व में मंदिर के भूतल की तराशी का काम पूरा कर लिया गया था।

मंदिर निर्माण का सपना पूरा हो रहा है तो 78वें वर्ष में प्रवेश कर चुके अन्नूभाई की खुशी का ठिकाना नहीं है। वह कहते हैं यह पल उनके जीवन का सबसे बड़ा उत्सव, सबसे बड़ा पर्व है। जीवन भर की तपस्या अब जाकर सफल हुई। अपनी आंखों से रामलला को उनके महल में विराजते हुए देखेंगे तब पता नहीं कैसी अनुभूति होगी, इसकी कल्पना करके ही उनकी आंखें डबडबा जाती हैं और फिर वह आगे कुछ भी नहीं कह पाते।