पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बहुत महत्वपूर्ण निर्णय दिया कि पति का जारी चेक बाउंस होने पर पत्नी के खिलाफ केवल इसलिए मामला नहीं चलाया जा सकता कि वह बैंक खाता संयुक्त था। यदि पत्नी के चेक पर उसके हस्ताक्षर नहीं हैं तो कानून उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा। हाईकोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ ही मोहाली की महिला के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई को रद्द करने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता शालू अरोड़ा ने बताया कि तनु बाथला ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के तहत याची और उसके पति के खिलाफ अदालत को शिकायत दी थी। शिकायत में कहा गया है कि याचिकाकर्ता और उसके पति रमन कुमार अरोड़ा ने शिकायतकर्ता से गारंटी के तौर पर एक चेक और पांच लाख रुपये लिए थे। यह चेक बैलेंस नहीं होने के चलते चेक बाउंस हो गया। मोहाली की अदालत ने शिकायत के आधार पर याची और उसके पति के खिलाफ समन आदेश जारी किया। याची ने कहा कि चेक, जिस पर हस्ताक्षर नहीं किए गए थे, याची और उसके पति का संयुक्त बैंक खाता है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि चेक पर साइन न होने पर याची के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। कानून के अनुसार, याचिकाकर्ता के चेक पर हस्ताक्षर नहीं होने पर चेक पर साइन करने वाले को ही आरोपी बनाया जा सकता है। ऐसे में, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की है। हालांकि याची के पति के खिलाफ चेक बाउंस कार्रवाई जारी रखने की अनुमति दी गई है।
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