Smart city scam: पूर्व अधिकारी – पंजाब विधानसभा कमेटी व स्टेट विजिलेंस की राडार पर

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Smart city scam
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Smart city scam: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सौ शहरों को स्मार्ट बनाने का अभियान शुरू किया था, जो आज से लगभग आठ-नौ साल पहले शुरू हुआ था। जब जालंधर को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया गया था, तो लोग खुश थे कि अब उन्हें अत्याधुनिक सुविधाएं मिल जाएंगी. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं।

कांग्रेस की सरकार के पिछले तीन साल में पंजाब में स्मार्ट सिटी के निर्माण और दर्जनों परियोजनाओं की शुरुआत हुई। उनमें से कई तो पूरे हो चुके हैं, लेकिन कई अभी भी लंबित हैं और शहरवासी असुविधा में हैं। माना जाता है कि इन प्रोजैक्टों पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद शहर में कोई नई सुविधा नहीं दी गई और शहर बहुत स्मार्ट (Smart city scam) नहीं हुआ। गलियों, नालियों और सीवरेज पर खर्च किया गया सारा पैसा लगता है स्मार्ट सिटी के लिए खर्च किया गया है।

इसलिए जालंधर स्मार्ट सिटी (Smart city scam) की कार्यप्रणाली से कोई राजनीतिक दल खुश या संतुष्ट नहीं था। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने जालंधर स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्टों की जांच राज्य विजिलेंस से करवाने का आदेश दे रखा है, और भाजपा ने भी केंद्र पर दबाव बनाया है कि वे केंद्रीय एजैंसी से स्मार्ट सिटी के कार्यों की जांच करवाए। (Smart city scam)

पंजाब विधानसभा की एस्टीमेट कमेटी ने जालंधर स्मार्ट सिटी के कार्यों को अपने स्तर पर भी देखने का निर्णय लिया है। इस कमेटी की पिछली बैठक चंडीगढ़ में हुई थी, जिसमें जालंधर स्मार्ट सिटी की कार्यप्रणाली को लेकर बहुत नाराजगी व्यक्त की गई थी। 3 एजैंसियों की जांच एक साथ शुरू होने से पंजाब के अफसरशाही में हड़कंप मच गया है क्योंकि कई अफसर स्मार्ट सिटी के कामों से जुड़े हुए हैं।

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