सात मंजिला स्वर्वेद महामंदिर का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी, भक्तों के लिए कर सकते हैं बड़ी घोषणा दुनिया के सबसे बड़े विहंगम योग के केंद्र स्वर्वेद महामंदिर के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भक्तों की सहूलियत के लिए बड़ी घोषणा कर सकते हैं। स्वर्वेद महामंदिर के नाम पर ही तरया स्टेशन का निर्माण कराया जा सकता है। सारनाथ और कादीपुर के बीच इस स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव से उमरहा स्थित स्वर्वेद मंदिर आने वाले लाखों भक्तों को सहूलियत होगी।
उमरहा स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ पूर्णाहुति में शामिल होने आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तरया में एक रेलवे स्टेशन की सौगात की उम्मीद है। दो माह पहले संत प्रवर महामंदिर उमरहा पहुंचे थे। इस दौरान केंद्रीय कैबिनेट मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने विज्ञान देव महाराज से शिष्टाचार मुलाकात की थी।
जिसमें विज्ञान देव महाराज ने तरया स्थित स्वर्वेद ज्ञान प्रेस के सामने एक रेलवे स्टेशन स्थापित करने की बात कही थी। उनका कहना था कि पियरी गांव के सामने पूर्व में रेलवे स्टेशन स्थापित था। जब रेलवे लाइन की पटरियां डबल हो गईं तो स्टेशन समाप्त कर दिया गया।
तरया में रेलवे स्टेशन स्थापित होने से देश के कोने-कोने से उमरहा पहुंचने वाले अनुयायियों को सहूलियत होती और क्षेत्र में लोगों को भी इसका लाभ मिलता। इस संबंध में रेल मंत्रालय में प्रक्रिया चल रही है।
महामंदिर के लोकार्पण के साथ ही संत सदाफल महाराज की 135 फीट ऊंची प्रतिमा का शिलान्यास आगामी 18 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी के कर कमलों से होना संभावित है। महामंदिर में एक साथ 20 हजार अनुयाकयियों के योग साधना करने की क्षमता है। संत सदाफल महाराज के विश्व के दर्जनों देशों में सैकड़ों आश्रम है। इसमें सबसे बड़ा उमरहा में नवनिर्मित स्वर्वेद महामंदिर है।
उमरहा स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ पूर्णाहुति में शामिल होने आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तरया में एक रेलवे स्टेशन की सौगात की उम्मीद है। दो माह पहले संत प्रवर महामंदिर उमरहा पहुंचे थे। इस दौरान केंद्रीय कैबिनेट मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने विज्ञान देव महाराज से शिष्टाचार मुलाकात की थी।
मंदिर अपनी खास भव्यता को लेकर चर्चा में है, क्योंकि इस मंदिर का भव्य निर्माण किया गया है. मंदिर इतना बड़ा है कि इसमें 20 हजार से ज्यादा लोग एक साथ मेडिटेशन कर सकते हैं और इस वजह से यह दुनिया में सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर है.
इस मंदिर का नाम है स्वर्वेद. स्वर्वेद दो शब्दों से मिलकर बना है स्व: और वेद. स्व: का एक अर्थ है आत्मा,वेद का अर्थ है ज्ञान. स्व: का दूसरा अर्थ है परमात्मा,वेद का अर्थ है ज्ञान. जिसके द्वारा आत्मा का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, जिसके द्वारा स्वयं का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, उसे ही स्वर्वेद कहते हैं. इस मंदिर में किसी विशेष भगवान की पूजा के बजाय मेडिटेशन किया जाता है और यह एक मेडिटेशन स्थल है.
बता दें कि सद्गुरु सदाफल देव विहंगम योग संस्थान की ओर से वाराणसी के उमरहा में यह बनाया गया है. स्वर्वेद महामंदिर के निर्माण कार्य 2014 से शुरू हुआ जो अभी तक लगातार चल रहा है. जो साधना का विशालतम केंद्र माना जा रहा है. यह भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अमर सेनानी महर्षि सदाफलदेव जी महाराज और सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग सन्त समाज से संबंधित है. 14 दिसंबर को स्वर्वेद मंदिर में होने वाला कार्यक्रम महर्षि सदाफलदेव की जेल-यात्रा का शताब्दी महोत्सव और विहंगम योग सन्त समाज का 98वां वार्षिकोत्सव पर हो रहा है.
क्या है इस मंदिर की खास बात? – What is the special thing about this temple? स्वर्वेद
वैसे, विशाल स्वर्वेद महामंदिर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यह सात मंजिला है और 35 करोड़ की ज्यादा की लागत से 64 हजार स्कवायर फीट में बनाया गया है. यह दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर भी है. काशी में बना स्वर्वेद मंदिर 180 फीट ऊंचा है. यहां के अनुयायी भारत के करीब सभी राज्यों एवं विदेशों में भी हैं. इस सुपर स्ट्रक्चर की काफी चर्चा हो रही है. इस मंदिर में मकराना मार्बल का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें 3137 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं. इसमें कमल के आकार का गुंबद बना हुआ है.