21 दिसंबर : विपश्यना के बाद केजरीवाल को ‘जेलासना’ ?

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21 दिसंबर : विपश्यना के बाद केजरीवाल को 'जेलासना' ?
21 दिसंबर : विपश्यना के बाद केजरीवाल को 'जेलासना' ?

अरविंद केजरीवाल को 21 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय के सामने शराब घोटाले में पूछताछ के लिए पेश होना था। लेकिन आम आदमी पार्टी के अनुसार अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 10 दिनों के लिए विपश्यना करने के लिए गए हैं, इसलिए वे 21 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं हो पाए। भाजपा ने इसे अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले की जांच से भागने की कोशिश करार दिया और कहा कि केजरीवाल चाहे जो कोशिश कर लें, विपश्यना के बाद उन्हें ‘जेलासना‘ करना पड़ेगा। तो क्या अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तय हो गई है?  

भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के विपश्यना कार्यक्रम के बहाने ईडी के सामने पेश न होने को कानून की एजेंसियों का उपहास उड़ाने की कोशिश करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि अरविंद केजरीवाल एजेंसी की जांच से बचने की कोशिश कर रहे हैं। इसके पहले दो नवंबर को भी जब उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था, तब उन्होंने मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी व्यवस्तता बताई थी। लेकिन उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

केजरीवाल एजेंसी की जांच से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

भाजपा नेता के अनुसार, यह दिखाता है कि आम आदमी पार्टी या अरविंद केजरीवाल चुनाव के लिए गंभीर नहीं थे, बल्कि वे चुनावों का उपयोग जांच से बचने के लिए कर रहे थे। इस बार विपश्यना को वे जांच एजेंसी से बचने के लिए उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि केजरीवाल चाहे जो उपाय कर लें, विपश्यना के बाद उन्हें जेलासना करना पड़ेगा (यानी उन्हें जेल जाना पड़ेगा)।    

आम आदमी पार्टी लंबे समय से कह रही है कि उसके नेता अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने की तैयारी चल रही है। स्वयं भाजपा के भी कई नेता कहते रहे हैं कि शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तय है। चूंकि, आम आदमी पार्टी में कुछ भी अरविंद केजरीवाल की इच्छा से अलग नहीं हो सकता, इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि शराब मामले में नीतियों में परिवर्तन कर जो अनुचित लाभ कमाया गया, उसके असली लाभार्थी अरविंद केजरीवाल ही थे।

यदि जांच एजेंसी अदालत में यह बात सिद्ध करने में सफल हो जाती है, तो अरविंद केजरीवाल इस शराब घोटाले के सबसे प्रमुख आरोपी बन जाएंगे और पूछताछ के बाद उन्हें भी हिरासत में ले लिया जाएगा।

आरोप है कि शराब घोटाले से प्राप्त कमाई का आम आदमी पार्टी ने गोवा और पंजाब के विधानसभा चुनावों में उपयोग किया। इसके आधार पर शराब घोटाले में जांच एजेंसी ईडी ने आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बना लिया है। यदि आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो इसका आम आदमी पार्टी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। 

आम आदमी पार्टी नेताओं का आरोप रहा है कि भाजपा के इशारे पर प्रवर्तन निदेशालय आम आदमी पार्टी को जांच मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है। यह कोशिश आम आदमी पार्टी को समाप्त करने के लिए की जा रही है। उसका कहना है कि आम आदमी पार्टी को फंसाने की कोशिश इसलिए की जा रही है, क्योंकि भाजपा आम आदमी पार्टी से चुनावों में मुकाबला नहीं कर पा रही है। 

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार दुबे ने अमर उजाला से कहा कि कोई पार्टी आर्थिक लाभ कमाने वाली कोई कंपनी नहीं होती, लिहाजा उस पर आर्थिक लेनदेन का कोई आरोप नहीं बनता। यदि पार्टी के किसी पदाधिकारी ने पार्टी के नाम पर धोखाधड़ी की है, तो उस पर मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेजा जा सकता है। साथ ही, यदि आरोप सिद्ध भी हो जाते हैं, तो केवल इसके आधार पर किसी पार्टी की मान्यता रद्द नहीं की जा सकती। किसी पार्टी की मान्यता चुनाव आयोग के नियमों के आधार पर होती है। यदि उनका उल्लंघन नहीं हुआ है तो आम आदमी पार्टी की मान्यता खतरे में नहीं है।  

 लेकिन अगले चार-पांच महीने के अंदर ही लोकसभा के चुनाव होने हैं। आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी उपलब्धि उसकी ईमानदार छवि रही है। यदि इस घोटाले में पार्टी या उसके नेताओं की संलिप्तता साबित हो जाती है, और वे कोर्ट द्वारा दोषी करार दे दिए जाते हैं, तो उसकी छवि पर बहुत नकारात्मक असर पड़ेगा। इसका उसे राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। यदि लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन नहीं किया, तो उसके भविष्य पर भी सवाल खड़े किए जाएंगे। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी इन आरोपों से बचने के लिए हर जुगत लगा रही है। उसकी कोशिश कितनी सफल हो पाएगी, यह भी शीघ्र ही साफ हो जाएगा।