मासूम के आंसू देखकर कोर्ट ने फैसला बदला: दूसरे दादा-दादी को छोड़कर सगी मां के साथ नहीं जाना चाहती बच्ची

0
191
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

High Court : आठ साल की बच्ची के आंसुओं ने हाईकोर्ट को अवैध कस्टडी के एक मामले में अपना निर्णय बदलने पर मजबूर कर दिया। जब अदालत ने बच्ची को उसकी मां को सौंपने का आदेश दिया, तो वह रोने लगी। बाद में, हाईकोर्ट ने अपने निर्णय को बदलते हुए उसे सौतेले पिता के अभिभावक, दादा-दादी, के पास ही रखना सही माना। कोर्ट ने निर्णय दिया कि बच्ची बचपन से ही दादा-दादी से भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई है, इसलिए इस प्रकार उन्हें अलग करना उचित नहीं है।

तरनतारण की एक महिला ने हाईकोर्ट को बताया कि उसके पहले विवाह से उसे एक बेटी हुई थी और याची का तलाक कुछ समय बाद हुआ था। याची ने फिर दूसरा विवाह कर लिया और अपनी बेटी के साथ रहने लगी। याची को कुछ समय बाद दूसरे पति के परिजनों ने घर से निकाल दिया और अवैध रूप से उसकी बेटी को अपने साथ रख लिया। याची ने कहा कि बच्ची के दूसरे दादा-दादी, दूसरे पति के परिजनों, का याची की बेटी से कोई संबंध नहीं है, इसलिए याची को उसकी बेटी सौंपी जानी चाहिए।

याची की बेटी को कोर्ट (High Court) में पेश किया गया, और हाईकोर्ट ने याची को उसकी बेटी को सौंपने का आदेश दिया। ऐसा होते ही बच्ची रोने लगी और कोर्ट को बताया कि एक बार याची ने उसे अपने साथ लेकर गया था और उसे बुरा सलूक किया था। उसे सही खाना नहीं दिया गया और कमरे में बंद कर दिया गया। हाईकोर्ट ने बच्ची के आंसू देखकर अपना निर्णय बदल दिया और कहा कि भले ही याची बच्ची का प्राकृतिक अभिभावक है, बच्ची की सुरक्षा और भलाई सबसे महत्वपूर्ण है। बच्ची आठ साल की है, लेकिन उसे पता है कि किसके साथ रहना उसके लिए अच्छा है।

हालांकि, हाईकोर्ट (High Court) ने आदेश में स्पष्ट किया कि दादा-दादा को अदालत कानूनी संरक्षक करार नहीं मिल रहा है। हाईकोर्ट (High Court) ने दादा-दादी को बच्ची को हर रोज याची से मिलने का समय देने का आदेश दिया है। साथ ही बच्चे के साथ संबंधों में सुधार होने पर उसे कस्टडी का दावा करने की अनुमति दी गई है।

दिलचस्प खबरों के लिए यहाँ क्लिक करे

यूट्यूब चैनल पर शॉर्ट्स देखने के लिए यहाँ क्लिक करे

पंजाब में और क्या चल रहा है – यहाँ से क्लिक कर के जाने