किसान के इस कमाल से खेत में फसल उगने लगी,जमीन पराली से ” सोना ” देने लगी ।

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किसान के इस कमाल से खेत में फसल उगने लगी,जमीन पराली से " सोना " देने लगी ।
किसान के इस कमाल से खेत में फसल उगने लगी,जमीन पराली से " सोना " देने लगी ।

क्योंकि पराली से बंजर जमीन बनाई गई थी।और बाद में सोना बन गई। हरियाणा के करनाल में रहने वाले किसान समर्थ सिंह हर साल फसल कटाई और बुवाई के समय अपने गांव लौटते हैं। वह गांव आते हैं और पिता के खेत में हाथ बंटाते हैं। साथ ही पराली प्रबंधन में भी सहायता मिलती है। किसान जमीन को ” सोना ” बना सकता है ।

देश भर में अक्टूबर में धान की फसल की कटाई होती है। वर्तमान में उत्तर भारत में भी पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। हर साल हरियाणा से भी अधिक ऐसी घटनाएं होती हैं। लेकिन इस बार हरियाणा सरकार पहले से ही तैयार है। सरकार किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। साथ ही पराली जलाने वाले किसानों को कड़ी सजा भी दी जाती है। इन सबके बीच, करनाल में एक ऐसे किसान हैं जो पराली को जलाने की बजाय खेतों में खाद के रूप में उपयोग कर अच्छे उत्पादन देते हैं।

किसान के इस कमाल से खेत में फसल उगने लगी,जमीन पराली से सोना देने लगी ।
किसान के इस कमाल से खेत में फसल उगने लगी,जमीन पराली से सोना देने लगी ।

जमीन की उर्वरकता में सुधार

आस्ट्रेलिया में पढ़ रहे किसान समर्थ सिंह हर साल फसल कटाई और बुवाई के समय अपने गांव लौटते हैं। वह गांव आते हैं और पिता की खेती में हाथ बंटाते हैं। उनका कहना था कि हरियाणा सरकार की अपील पर 06 साल पहले पराली प्रबंधन शुरू किया था। उन्हें अपनी पुश्तैनी जमीन पर पराली मिलाकर उर्वरक क्षमता बढ़ा दी गई।

ऐसे पराली प्रबंधन करें

किसान समर्थ सिंह बताते हैं कि उन्होंने लगभग 60 एकड़ जमीन पर खेती की है। इस जमीन के कुछ एकड़ पर वे पराली की कटर से कटाई करके जमीन के अंदर ही मिला देते हैं (IN C to Management), जबकि कुछ एकड़ में बेलर से गांठे बनाते हैं (EX C to Management)। किसान दोनों स्थिति से लाभ उठाते हैं। उन्होंने दूसरे किसानों से कहा कि वे अधिक से अधिक पराली को नियंत्रित करें।

ये किसानों की अपील

किसान समर्थ सिंह ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण आग लगाने से सबसे बड़ी समस्या है। यह हमारे स्वास्थ्य पर सीधे-सीधे बुरा प्रभाव डालता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और हरियाणा सरकार इस विषय पर इतना गंभीर हैं क्योंकि हमें सांस लेना भी मुश्किल है। पराली में आग लगाने से जमीन की उर्वरक क्षमता भी कम होती है। पराली भी जमीन के दोस्त कीटों को जलाती है। किसानों को भी पराली को जलाने से बचना चाहिए।

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